अमेरिका के ईरान पर हमले के बाद पश्चिम एशिया में भू-राजनीतिक हालात बेहद उलझ गए हैं और आशंका है कि अब ईरान इस्राइल के बीच शुरू हुआ संघर्ष पूरे पश्चिम एशिया को चपेट में ले सकता है। अमेरिका के हमले के बाद अब सभी की निगाहें ईरान पर टिकी हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने बयान में साफ कहा कि अगर ईरान अमेरिका पर हमले का जवाब नहीं देता है तो शांति स्थापित होगी और अगर ईरान ने जवाब दिया तो त्रासदी होगी।
ईरान, अमेरिका के हमले के बाद पश्चिम एशिया में अमेरिकी नागरिकों और अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर हमला कर सकता है। ऐसे में पश्चिम एशिया में मौजूद अमेरिका के सैन्य ठिकानों और अमेरिकी नागरिकों को अलर्ट किया गया है। अमेरिकी शहरों में भी सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है और अहम ठिकानों की निगरानी बढ़ा दी गई है।
इस्राइल पर भी हमले तेज हो सकते हैं। अमेरिका के हमले के कुछ देर बाद ही ईरान ने इस्राइल पर मिसाइल हमले किए, जिस पर इस्राइल ने भी पलटवार किया। लड़ाई तेज होने की आशंका से इस्राइल ने सभी शैक्षिक गतिविधियों, लोगों के इकट्ठा होने आदि पर भी अगले आदेश तक प्रतिबंध लगा दिया है। सिर्फ जरूरी चीजों के संचालन की ही मंजूरी दी गई है। आशंका है कि इस्राइल, ईरान की सैन्य ताकत की रीढ़ इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स पर हमले भी कर सकता है।
ईरान पर हमले के जवाब में उसके कथित प्रॉक्सी संगठन हिजबुल्ला और हमास भी इस्राइल पर हमले शुरू कर सकते हैं। हिजबुल्ला ने तो ईरान के समर्थन में इस्राइल पर हमले का एलान कर ही दिया है। हालांकि इस्राइल के हमलों के बाद इनकी ताकत बेहद कम हो गई है, लेकिन ये इस्राइल की परेशानी थोड़ी बढ़ा सकते हैं।
पश्चिम एशिया में संघर्ष बढ़ने के बाद तेल की कीमतों में भी उछाल आ सकता है। दरअसल ईरान ने धमकी दी थी कि अगर लड़ाई में अमेरिका शामिल हुआ तो वे होर्मुज जलडमरूमध्य में व्यापारिक जहाजों की आवाजाही को बाधित कर देंगे। साथ ही ईरान के समर्थन में हूती विद्रोही भी लाल सागर में व्यापारिक जहाजों पर हमले कर सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो इसका पूरी दुनिया पर असर पड़ेगा।

रूस और चीन ने हाल ही में ईरान और इस्राइल से एक दूसरे पर हमले बंद करने की अपील की थी, लेकिन साथ ही कूटनीतिक तौर पर ईरान का समर्थन किया था। रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने तो अमेरिका को चेतावनी भी दी थी और ईरान पर हमले ने करने को कहा था। चीन ने भी अमेरिका पर संघर्ष को बढ़ावा देने का आरोप लगाया था। ऐसे में अब रूस और चीन के अगले कदम पर सभी की निगाहें हैं।