आरक्षित विषयों’ (reserved subjects) पर तारांकित और अतारांकित प्रश्नों के संबंध में अपनी व्यवस्था और आवश्यक निर्देश देना चाहूंगा।

विधानसभा अध्यक्ष श्री विजेंद्र गुप्ता का सदन में वक्तव्य

 

28 मार्च, 2025

 

“मैं ‘आरक्षित विषयों’ (reserved subjects) पर तारांकित और अतारांकित प्रश्नों के संबंध में अपनी व्यवस्था और आवश्यक निर्देश देना चाहूंगा।

 

जैसा कि आप जानते हैं कि अनुच्छेद 239 AA के अनुसार विषय आरक्षित हैं, न कि विभाग। गृह विभाग (जैसे कि आपराधिक कानून, अभियोजन, दिल्ली अग्निशमन सेवा आदि) और भूमि एवं भवन विभाग (जैसे कि अस्पताल या स्कूलों के लिए भूमि का आवंटन, हाउसिंग, कार्यालय आवास, हाउसिंग लोन आदि) कई ऐसे कार्य करते हैं जो आरक्षित नहीं हैं।

 

हमारे प्रक्रिया नियमों के अनुसार प्रश्नों की स्वीकार्यता तय करने के लिए अध्यक्ष अंतिम प्राधिकारी हैं। नियम 48 के तहत अध्यक्ष को प्रश्नों की स्वीकार्यता तय करने का अधिकार है। नियम 291 के तहत अध्यक्ष को नियमों की व्याख्या करने का अधिकार है और उनका निर्णय अंतिम होगा। नियम 292 के तहत अध्यक्ष के पास ऐसे किसी भी मामले में अवशिष्ट शक्तियां (residuary powers) हैं, जिसके लिए नियमों में प्रावधान नहीं किया गया है और नियम 293 के तहत किसी भी प्रश्न को अनुमति देने या न देने के संबंध में अध्यक्ष के किसी भी निर्णय पर सवाल नहीं उठाया जाएगा।

 

इसलिए, यह निर्णय लिया गया है कि आरक्षित विषयों से संबंधित प्रश्नों को मैं केस-टू-केस आधार पर स्वीकार करूंगा। ‘सेवाओं (services) के मामले में माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय दिया है कि यह आरक्षित विषय नहीं है और इस विभाग के प्रश्नों को स्वीकार किया जाएगा तथा उनका उत्तर दिया जाएगा।”

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