दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष श्री विजेंद्र गुप्ता ने श्री अय्यप्पा सेवा समिति की 35वीं वर्षगांठ समारोह में की शिरकत

दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष श्री विजेंद्र गुप्ता ने श्री अय्यप्पा सेवा समिति की 35वीं वर्षगांठ समारोह में की शिरकत

प्रेस विज्ञप्ति
दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष श्री विजेंद्र गुप्ता ने श्री अय्यप्पा सेवा समिति की 35वीं वर्षगांठ समारोह में की शिरकत

“वर्ण विस्मय संध्या” ने भक्तिभाव, संस्कृति और कला का अद्भुत संगम प्रस्तुत किया

समर्पण, सेवा और संस्कृति की 35 वर्षों की यात्रा का भव्य उत्सव

नई दिल्ली, 12 अप्रैल 2025

दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष श्री विजेंद्र गुप्ता ने श्री अय्यप्पा सेवा समिति की 35वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लेते हुए कहा कि पूर्वी दिल्ली के मयूर विहार स्थित यह मंदिर एक प्रमुख आध्यात्मिक और सांस्कृतिक केंद्र बन चुका है, जो देशभर के श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। उन्होंने समिति की 35 वर्षों की यात्रा को अनुशासन, समर्पण और सांस्कृतिक चेतना की मिसाल बताते हुए अपने प्रेरणादायक विचार व्यक्त किए। यह समारोह जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम परिसर, लोदी रोड स्थित वेटलिफ्टिंग ऑडिटोरियम में आयोजित किया गया।

इस अवसर पर आयोजित विशेष सांस्कृतिक संध्या “वर्ण विस्मय संध्या”, श्री धर्मशास्ता मंदिर, मयूर विहार के तत्वावधान में संपन्न हुई। इस समारोह ने न केवल समिति की तीन दशकों से अधिक की सेवा को रेखांकित किया, बल्कि भारतीय कला, संस्कृति और आध्यात्मिक परंपराओं की समृद्ध विरासत को भी मंच प्रदान किया।

अपने संबोधन में माननीय अध्यक्ष श्री गुप्ता ने आगे कहा कि समिति के निस्वार्थ सेवा कार्यों की भूरी-भूरी प्रशंसा की और कहा कि “समिति का कार्य क्षेत्र केवल धार्मिक गतिविधियों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सामाजिक सौहार्द, सांस्कृतिक संरक्षण और युवा पीढ़ी को सनातन मूल्यों से जोड़ने का एक सशक्त माध्यम भी है।”

कार्यक्रम में भक्ति संगीत, पारंपरिक नृत्य, और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के माध्यम से अय्यप्पा परंपरा के विविध आयामों का भव्य प्रदर्शन किया गया। पूरे आयोजन में श्रद्धा, समर्पण और भारतीय संस्कृति की समावेशी भावना झलकती रही।

श्री अय्यप्पा सेवा समिति, पिछले 35 वर्षों से धार्मिक आयोजनों के साथ-साथ सामाजिक सेवा के क्षेत्र में भी निरंतर सक्रिय रही है। यह आयोजन संस्था के उसी संकल्प, सेवा और समर्पण की पराकाष्ठा का प्रतीक रहा।

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