भारत मंडपम में नए आपराधिक कानूनों पर भव्य प्रदर्शनी: तकनीक-संचालित न्याय प्रणाली का युग शुरू

भारत मंडपम में नए आपराधिक कानूनों पर भव्य प्रदर्शनी: तकनीक-संचालित न्याय प्रणाली का युग शुरू

भारत मंडपम में नए आपराधिक कानूनों पर भव्य प्रदर्शनी: तकनीक-संचालित न्याय प्रणाली का युग शुरू

दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच द्वारा 1 जुलाई से 6 जुलाई तक नई दिल्ली स्थित भारत मंडपम में एक महत्वपूर्ण प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है। यह आयोजन 1 जुलाई 2024 को लागू हुए भारत के तीन नए आपराधिक कानूनों—भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम—की पहली वर्षगांठ के उपलक्ष्य में किया गया है। इस प्रदर्शनी का उद्देश्य आम नागरिकों, कानून प्रवर्तन एजेंसियों, न्यायिक संस्थाओं और संबंधित हितधारकों को न केवल नए कानूनी प्रावधानों से अवगत कराना है, बल्कि यह दिखाना भी है कि भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली किस प्रकार तकनीकी रूप से सशक्त और अधिक न्यायपूर्ण हो रही है।यह प्रदर्शनी किसी पारंपरिक प्रदर्शनी की तरह नहीं है, बल्कि इसमें एक आपराधिक मामले की पूरी प्रक्रिया को दृश्य, श्रव्य और संवादात्मक माध्यमों से दर्शाया गया है। दर्शक अपराध की सूचना मिलने से लेकर अंतिम अदालती फैसले और अपील तक की समूची यात्रा को अनुभव कर सकते हैं। इस प्रदर्शनी को नौ विषयगत स्टेशनों में विभाजित किया गया है, जो क्रमवार पूरी न्यायिक प्रक्रिया को प्रस्तुत करते हैं। प्रदर्शनी में उपयोग की गई तकनीकों में एनीमेशन, नाट्य प्रस्तुति, ऑडियो-विजुअल प्रदर्शनी, और लाइव डेमो शामिल हैं, जो दर्शकों को पूरी प्रक्रिया का जीवंत अनुभव कराते हैं।नए कानूनों के तहत कई महत्वपूर्ण सुधार लागू किए गए हैं जो प्रणाली की पारदर्शिता, वैज्ञानिकता और समयबद्धता को सुदृढ़ करते हैं। अब उन सभी मामलों में जिनमें सजा सात साल से अधिक हो सकती है, घटनास्थल पर फोरेंसिक विशेषज्ञ की उपस्थिति अनिवार्य कर दी गई है। इससे जांच में तकनीकी सटीकता आती है और साक्ष्य अधिक प्रमाणिक होते हैं। इसके अलावा ई-साक्ष्य प्लेटफॉर्म के जरिए डिजिटल साक्ष्य संग्रहण और संरक्षण की व्यवस्था की गई है, जिससे छेड़छाड़ की संभावना समाप्त होती है और अदालत में उनकी वैधता सुनिश्चित होती है।फॉरेंसिक प्रक्रियाओं को तेज करने के लिए ई-फॉरेंसिक्स 2.0 प्रणाली को लागू किया गया है, जिसके अंतर्गत फॉरेंसिक नमूनों को अब सीसीटीएनएस प्रणाली के जरिए डिजिटल रूप में भेजा जा रहा है। इससे रिपोर्ट तैयार करने में लगने वाला समय कम हुआ है। इसी क्रम में MedLEaPR नामक एप्लिकेशन को भी उपयोग में लाया गया है, जो अस्पतालों को पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट को सीधे पुलिस जांच एजेंसियों तक पहुंचाने में सक्षम बनाता है।

पुलिस रिमांड की प्रक्रिया में भी सुधार हुआ है। अब गिरफ्तारी के 60 दिनों के भीतर कभी भी पुलिस हिरासत के लिए आवेदन किया जा सकता है, जबकि पहले यह समयसीमा सीमित थी। अभियोजन पक्ष को चार्जशीट डिजिटल रूप में भेजने की सुविधा दी गई है, जिससे जांच प्रक्रिया को गति मिली है। गवाह अब वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से गवाही दे सकते हैं, जिससे उन्हें यात्रा या सुरक्षा की चिंता नहीं रहती।

 

अपराधियों की पहचान के लिए अब नेशनल ऑटोमेटेड फिंगरप्रिंट आइडेंटिफिकेशन सिस्टम और चेहरा पहचान तकनीक का उपयोग किया जा रहा है, जिससे बार-बार अपराध करने वालों की पहचान आसान हुई है। इसके अलावा, नए कानूनों के तहत विशेष परिस्थितियों में अनुपस्थित आरोपियों पर भी मुकदमा चलाया जा सकता है। जेलों में बंद उन विचाराधीन कैदियों के लिए जिन्‍होंने अधिकतम सजा का एक-तिहाई हिस्सा काट लिया है, जेल अधीक्षक द्वारा अनिवार्य रूप से जमानत आवेदन किया जाना तय किया गया है।

यह प्रदर्शनी आम जनता के लिए खुली है और इसका उद्देश्य न केवल जानकारी देना है, बल्कि नागरिकों को भारत की बदलती आपराधिक न्याय प्रणाली के साथ जोड़ना भी है। यह प्रदर्शनी इस बात का प्रमाण है कि भारतीय न्याय प्रणाली अब पुराने ढांचे को पीछे छोड़ते हुए, वैज्ञानिक, डिजिटल और पीड़ित-केंद्रित व्यवस्था की ओर अग्रसर हो रही है। आयोजन में आए लोगों ने इसे बेहद शिक्षाप्रद और प्रेरक बताया। दिल्ली पुलिस ने सभी नागरिकों से इस ऐतिहासिक अवसर का हिस्सा बनने और कानूनी बदलावों को समझने की अपील की है।

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